यूनिक क्लाइंट कोड का उपयोग कहाँ और क्यों करते हैं

यूनिक क्लाइंट कोड का उपयोग कहाँ और क्यों करते हैं

यूनिक क्लाइंट कोड का उपयोग कहाँ और क्यों करते हैं

तो चलिए दोस्तों आज हम एक ऐसे टोपिक पर बात करनेवाले हैं जिसको समझना स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए बेहद ही जरुरी है, शेयर बाजार की अखंडता और सुरक्षा को बनाएं रखने के लिए आए दिन SEBI नए – नए नियमों को लागु कर रहा है उन्ही मेसे एक प्रतिभूतियों के पे-इन करने के लिए सेबी के द्वारा लागु निर्देशों के सत्यापन को कैसे करेंगे उसके ऊपर सलाह दी गई है तो चलिए यह समझते है की आखिरकार यह नया नियम क्या है और इसके चलते शेयर बिक्री करते समय हमें किन बातो को ध्यान में रखने की आवश्यकता हैं

प्रतिभूतियों के भुगतान के लिए सेबी का परिपत्र

सबसे पहले इस टोपिक के टेक्निकल पार्ट यानि सेबी की Circular इन्फोर्मेशन समझ लेते है, सेबी सर्कुलर संदर्भ संख्या: SEBI/HO/MIRSD/DoP/P/CIR/2022/119 जिसको 19 सितंबर, 2022 को जारी किया गया था साथ ही इस तारीख को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों (BSE/NSE) को उनके सर्कुलर संदर्भ संख्या: NSE/INSP/53756 के मुताबिक ‘क्लियरिंग कॉर्पोरेशन’ के निर्देशन के मुताबिक अबसे क्लाइंट्स के Demat Account से Trading Member (TM) के Trading Account (पूल खाते) में प्रतिभूतियों के भुगतान को पूर्ण करने के लिए सेबी के इन नए निर्देशों का पालन करना पड़ेंगा, तो चलिए इसको विस्तारपूर्वक समझते है की आखिरकार यह नियम किन निवेशकों (ट्रेडर्स) के लिए कैसी स्थिति के लिए जरुरी होंगा

यह नियम क्या हैं ?

तो यह नियम शेयर बिकवाली के बाद होनेवाली पे-इन प्रोसेस को पूर्ण करने की प्रक्रिया में जरुरी trade book को समाविष्ट किया जाता हैं आमतौर पर तो यह प्रक्रिया हमारे ब्रोकर के जरिये लागु डिपॉजिटरी (CDSL/NSDL) के द्वारा की जाती हैं, सबसे पहले इसको विस्तार से समझने के पूर्व मैं यह बता दू की इस नियन पर किस प्रकार के निवेशकों को ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता हैं

यह नियम किसके लिए है ?

तो यह नियम केवल उन्ही निवेशकों पर लागु है जिसके डीमैट खाते और पूल खाते अलग – अलग है यानि जिस किसी निवेशक का ट्रेडिंग अकाउंट अपने ब्रोकर के पास है जिसके जरिये वह शेयरों की खरीद – बिक्री करता है मगर उसका डीमैट अकाउंट किसी अन्य संस्था में है जिसके चलते वह अपने शेयरों को बेचने के लिए Margin को अपने ब्रोकर के पास जमा रखवाता है और अपने शेयरों को बेचता है जिसके बाद उसे अपने डीमैट खाते में पड़े उन शेयरों को अपने ब्रोकर तक पहुंचाने (Deliver) के लिए Trade Book का सहारा लेना पड़ता हैं अब इस ट्रेड बुक को भरने के लिए किन अतिरिक्त जानकारीओ की आवश्यकता पड़ेंगी उसको सेबी की गाइडेंस के मुताबिक समझते हैं

सेबी के इस नियम का मुख्य पार्ट     

डिपॉजिटरी के मुताबिक क्लाइंट के डीमैट खाते से टीएम के पूल खाते में से पे-इन करने के लिए प्रतिभूतियों के वास्तविक हस्तांतरण को निष्पादित करने से पहले पे-इन के उद्देश्य के लिए हस्तांतरण निर्देश को मान्य करना पड़ेंगा, इसके लिए हमें कई डिटेल्स की आवश्यकता पड़ेंगी जिसको निचे वन बाय वन दिया गया हैं –

  • डिपॉजिटरी यूसीसी (Unique Client Code)
  • टीएम आईडी (TM ID) यानि Trading Member ID
  • CM Name और सीएम-बीपी-आईडी
  • Settlement Number (इस लिंक के जरिये आप T+1 और T+2 इन सभी ट्रेडिंग दिनों के सेटलमेंट नंबर को जान सकते हैं)
  • एक्सचेंज आईडी – यदि क्लाइंट अपना ट्रेड NSDL के माध्यम से जमा करती है तो Exchange ID – 02 और CDSL की Exchange ID – 11 होंगी
  • Segment ID – 01 दोनों ही DP की समान रहेंगी
  • ISIN, Security Name, मात्रा (शेयरों की सख्या)

उपरोक्त सभी निपटान विवरण को पूर्ण करने के आधार पर समाशोधन निगम दायित्व विवरण के साथ डिपॉजिटरी ट्रांसफर निर्देश विवरण को मान्यता देती हैं

Unique Client Code की अवधारणा

‘विशिष्ट (अद्वितीय) ग्राहक कोड’ जिसे शोर्ट में UCC के नाम से जाना जाता हैं इस शब्द का सीधा सा मतलब Trading Code होता है जोकि दलालों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता होती है, इस कोड का उपयोग ट्रेडिंग करने की आवश्यकता से उपयोगी होता है, जो संबंधित ग्राहक के पैन (स्थायी खाता संख्या) से जुड़ा होता है वही उक्त ग्राहक के लिए एक विशेष पहचान के रूप में काम में लिया जाता हैं, क्लाइंट्स के डीमैट खाते के साथ ‘यूनिक क्लाइंट कोड’ (यूसीसी) को कैसे जोड़े ?, इस सवाल का जवाब आपको इस लिंक Mapping of Unique Client Code (UCC) के माध्यम से मिलेंगा

निवेशकों के लिए ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

उपरोक्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए, आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता दी जाती है कि इस नियम के अंतर्गत के विवरण जैसे की; यूसीसी, टीएम आईडी, सीएम आईडी, और आईएसआईएन आदि को आपके डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) को डिलीवरी निर्देशों में जमा करना आवश्यक हैं

इन नियम के बीच कोई विसंगति दायित्व विवरण के परिणामस्वरूप स्थानांतरण निर्देश को अस्वीकार कर दिया जाएगा इसके अलावा ऐसे निर्देशों की भी अस्वीकृति के परिणामस्वरूप पे-इन बाध्यता में चूक हो सकती है जिसके चलते बिक्री किए गए शेयरों का समय पर पे-इन ना होने के कारन ऑक्शन चार्ज चुकाना पड़ सकता है जोकि कुछ कैश में 20% तक का होता हैं

इसके अलावा, आपको यह सुनिश्चित करने की सलाह दी जाती है कि पे-इन दायित्वों के उद्देश्य से आपके डीमैट खाते के साथ सही यूसीसी विवरण मैप किया गया है या नहीं आपसे अनुरोध है कि आप अपने डिपॉजिटरी प्रतिभागियों से अपने सही यूसीसी विवरण को संशोधित करने या जोड़ने के लिए अनुरोध करें जिसे डिपॉजिटरी द्वारा डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के माध्यम से संसाधित किया जाता हैं

अर्ली और नॉन-अर्ली पे-इन की लागु तारीख  

अर्ली पे-इन (इसका मतलब शेयरों की डेलिवरी उसी दिन को उतारना जिस दिन उन शेयरों की बिकवाली हुई है) निर्देशों के साथ एकाउंट ट्रांसफर और इंटर डिपॉजिटरी मार्केट लेनदेन में उपरोक्त सूचित यूसीसी विवरण दाखिल करना 12 नवंबर, 2022 से अनिवार्य कर दिया गया है, और साथ ही नॉन-अर्ली पे-इन (इसका मतलब शेयरों को बिकवाली के उसरे दिन डेलिवर किया जाता है) निर्देशों के मुताबिक इसकी शुरुआत 26 नवंबर, 2022 से अनिवार्य होंगी

निष्कर्ष

तो दोस्तों हमें इस आर्टिकल में सेबी के द्वारा लाये गए प्रतिभूतियों के भुगतान के लिए नए नियम को समझां जिसमे हमने एक नए शब्द UCC को देखा था जिसको भी हमने शोर्ट इनफार्मेशन के साथ समझां साथ ही यह न्यू रूल क्या है और किन प्रकारों के निवेशकों पर लागु होनेवाला हैं यह भी विस्तार से समझां तो इसी के साथ हमारा यह Trading News वाला टोपिक समाप्त होता हैं, धन्यवाद

Unique Client Code kya hain ?

‘UCC’ इस शब्द का सीधा सा मतलब दलालों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है, जिसमें उन्हें इस कोड का उपयोग करने की आवश्यकता होती है, जो संबंधित ग्राहक के पैन (स्थायी खाता संख्या) से जुड़ा होता है

अर्ली और नॉन-अर्ली पे-इन में यह नियम कबसे लागू होंगा ?

अर्ली पे-इन में यह नियम 12 नवंबर, 2022 को लागु होंगा और नॉन-अर्ली पे-इन के इस नए नियम के निर्देशों के मुताबिक इसकी शुरुआत 26 नवंबर, 2022 से अनिवार्य होंगी

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